Friday, June 19, 2015

सावन की बरसात


एक अजीब सा अहसास हो रहा है
खिड़की से आती पानी की
इन बूंदों की आवाज में,
मुझे तुम सुनाई दे रही हो
एकरस बरसती इस बरसात में
कल तेरे जाने के बाद से सुन रहा हूँ
कितनी मिलती सी आवाज है
तेरी और एक लय में बरस रही
सावन की इस बरसात की, ,,,!!

कल शाम लौटते हुए मैं जान कर भीगा
मेरे पूरे बदन से जैसे, लिपट सी गयी थी
बारीश की ये बूँदें ,
मुझे लगा मानो
तुम लिपट रही हो मेरे सीने से
ठंडी हवाओं से बचकर नरमी पाने को
कितना मिलता सा अहसास है
तेरा और बरसात की इन बूंदों का..!!

कितना मिलती-जुलती फितरत है
तेरी और इस कारी बदली की,
ये भी तेरी ही तरह आती है
और आकर चली जाती है
उत्तर से आती कारी बदली को
अपनी अदा में बरस कर जाते देख
मुझे तेरा आना
आकर मेरे सूखे पड़े दिल को
अपने प्यार के रंग में भिगोकर
जाना याद आ गया !!

 

 #SMARTY 

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