Sunday, November 2, 2014

तारीफ़-नामा

तुलना तेरे रूप की मैं
करने को हजारों कर दूँ
जहाँ की खूबसूरती से पर
अपनी नजर से देखा मैंने

रेशमी लहराती जुल्फों के बीच
लाल गहराई सी बिंदिया
तेरे माथे पे दिखी और लगा
जैसे जीवन का सारा सम्मोहन
उसी में बना हुआ है !

गजब का जीवन संगीत है
तेरी बोलती आँखों में
बसंती बयार सी लगी तुम
जब देखा तुझे पीले भेष में

सुर्ख गुलाबी कपोलों तक
लाल मुस्काते अधरों से जो ये
मुस्कान बैठी है ना ,बस उसी में
जैसे मेरी जान बसती है

अपने सीने पे उतरते इस
हरे से पत्थर को पूछना,
कितना मोल उसका बढ़ा होगा
जब वो उतरा होगा मोतियों के सहारे
तेरे खूबसूरत गले को चूम के

यूँ श्रृंगार से बदन चमकते हैं
पर श्रृंगार चमक रहा है तेरी
बल खाती सोन-मछली जैसी
गोरी -केसरी दमक से .

बेचैन दिल तसल्ली पाता है जब
देखता हूँ अपनी ज़िन्दगी को
यूँ दिल में  रंग बिखेरते हुए
अच्छा लगा इतना की
बस लिख दिया ज़िन्दगी को
दिल से निकला ये  "तारीफ़नामा

#Smarty