Thursday, November 7, 2013

ज़िन्दगी लाइव...जारी है


कल रात की तेज़ हवा बारिश
बारिश से छिपते बचते लोहार

बारिश में बहा पटाखी कचरा
शान्ति से बीत चूका त्योंहार

गाँव की एक ठंडी सुबह
खेतों को जाते किसान

मंदिर में बजती घंटियां
मस्जिद से आती अजान

दरवाजे पे पड़ा अखबार
प्याले में पड़ी गरम चाय

छुट्टी के बाद खुलते स्कूल
अध्यापको की चुनावी राय

माँ ने बुहार दिया अल सुबह
बिखरा था आंवले का पत्ता


आँगन में कुर्सी पे बैठा मैं
दिल से निकली कविता

---जिंदगी जारी है