Tuesday, July 22, 2014

मान जाइए ....


अजी छोडिये यूँ मन की गति से चलना 
 मन को रोकिये और कहीं दिल लगाइए 

जीतें हैं लोग आपको भी देखकर इस जहां में
लिखती हुई इस कलम को ही पहचान जाइए 

ग़मों को उगल कर कर किसी नफस के आगे
उदासी को दीजिए तिलांजलि और मुस्कुराइए

मौत से तो मिलना हो ही जाएगा एक दिन
बहरहाल आप मरना छोड़ जिंदगी जी आइये

मैं भी चला जा रहा हूँ अनजान सफ़र पे
कहीं और नहीं जाना तो मेरे साथ आइये






Friday, July 11, 2014

प्यार (एक प्राक्कल्पनात्मक अहसास )

 तुमसे प्यार के शारीरिक तौर-तरीकों,
की बात करते करते कल दोपहर फिर
जब मैं मुंबई जा रहा था रास्ते में अचनाक 
बारीश शुरू हो गयी,हालांकि मुझे उस से
कोई ख़ास सरोकार नहीं था,

फिर तुमने कहा की' न मैं बतियाती तुमसे
न तू यूँ दीवाना होता न इतनी बात होती
सच कहूँ सारा मेरा कसूर है,तुम हो बेगुनाह'
मुझे लगा मानो अब तक ये सब बेवजह था
अपराध था ये प्यार नहीं था ,

मैं तुझे समझ पाता,खुद को समझाता इतने में  
दिल ने मुझे आवाज दी के,शायद मैं भूल रहा हूँ
बात तो जीने की हुई थी,आपसी गम पीने की हुई थी
तुम क्यूँ अपराधी बनो भला,अगर ये अपराध है तो
ये सिर्फ तेरा ही इजहार नहीं था

मैंने भावावेश में आकर ,अपना सब-कुछ सा खोकर
कह दिया के ,चलो बन जाते हैं अजनबी फिर से हम
तुम जी कर देखो अपने नए जीवन को अपने ढंग से
मैं चाहूँगा तुम्हें देखना,अपने जीते जी ख़ुशी से मेरे बिन
कुछ ऐसे जैसे हमें प्यार नहीं था

तुमने झट से कहा की नहीं रह सकती मैं खुश तेरे बिन
मैं पहले थोड़ा सा घबराया,फिर एकदम से मुस्कुराया
खुश ही तो मैं रखना चाहता हूँ तुझे हर पल मेरी मुस्कान
किसी को खुश रखना और उस ख़ुशी को महसूस करने से
दो अजनबियों को इंकार नहीं था   


@akki
  




Wednesday, July 2, 2014

मैं और एक खामोश प्रेम कहानी ...


कल पुरे दिन की बारीश के बाद
आज सुबह जब थोडा धूप खिली
बारीश से खिले मोगरे के बदन पर
आकर बैठ गयी एक नाजुक तितली

उसके रंगीन पंखो के नर्म अहसास से
मोगरा मानो आनंद में महक सा गया
ठंडी शीतल हवा के झोंके से हिलता सा
तितली का मन उस महक में बहक सा गया

ये उनकी पहली मुलाकात थी यूँ तो शायद 
मोगरा मंत्रमुग्ध सा उसे निहारे जा रहा था
तितली के नर्म पंखो के हिलने से आने वाली
मादक हवा से पत्तियों को झारे जा रहा था

तितली ने मोगरे से पंख हिलाकर पुछा यूँ
क्या तुम्हें मुझसे प्यार हो गया है ?
मोगरा मुस्कुराया,अपने आप में शरमाया
उसे लगा उसके प्यार का इजहार हो गया है

मोगरे की मुस्कराहट पे ही वो मस्तानी  
उसके दिल को इतना बखूबी जान गयी
बिना कुछ कहे मोगरे की आँखों के प्रेम को
अपने पंखों से छूकर पहचान गयी

प्रेम-प्यासी तो तितली भी थी शायद, हाँ
एक बंधन का ख़याल उसे रोक रहा था
दोनों का प्यार और जरूरतें तो थी मगर
मर्यादा का उल्लंघन उसे टोक रहा था

जब तितली खामोश हो कर बैठ गयी
तब मोगरे ने भी उस अंतर्द्वंद को भांपा
अपनी बड़ी पत्तियों को समेटकर उसने
तितली के नाजुक बदन को खुद में ढांपा

सारी मर्यादाओं के बोझ से दबे हुए से
तितली के मन को प्रेम से साध लिया
तितली ने भी अपने कोमल पंखों को
मोगरे के प्रेमानुग्रह में  बाँध लिया

अपने अपने जीवन की रिक्तताओं को
दूर करने के लिए वो दोनों मिल गए
इस अलौकिक प्रेम में दोनों के बदन
एकदूसरे की खुशबु से मानो खिल गए

मोगरे की जरुरत कोई तितली नहीं है
उसको भाता तितली का अनुराग है
तितली की जरुरत कोई मोगरा नहीं है
उसे रिझाता मोगरे का प्रेम-पराग है

साधारण से शब्दों में लिखी हुई
ठंडी सुबह में दिल की जुबानी
एक पेड़ और और एक पतंगे की ये 
ताज़गी भरी खामोश प्रेम कहानी
अपनी ज़िन्दगी को समर्पित...!!

@kki
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