Saturday, May 24, 2014

समझाईश

किस कदर बेहाल है आजकल मेरे दोस्त मुझसे ए गुलबदन 
जब से बना शौक तेरे दीदार का सारे शौक  जैसे मर गए

आजा चलते हैं कहीं दूर किसी राह पे जहाँ खुशियाँ मिले
जितने देने वाले थे ख़ुशी हमको अब वो बात से मुकर गए

आये थे मुझे समझाने समझदार लोग जहाँ भर के 
सब आये समझाया और हँसते हँसते अपने घर गए

इश्क के मोहल्लों में रोशनी कम होती है आजकल
जो काम सयाने नहीं कर पाए वो दीवाने कर गए

गफलत में जीने वाले जी कर भी मुर्दा रहते हैं जहाँ में

जिंदादिली से जीने वाले ज़माने को जिंदाबाद कर गए

Tuesday, May 20, 2014

जिंदगी तुम भी ना ....

तुम मेरी हो  शायद रोज मुझे सुनाती हो
तुम गैर की हो ये अहसास भी कराती हो

यूँ तुम मुझे दुनियां से लड़ना सिखाती हो 
और कभी दुनियां से डरना भी सिखाती हो

रोज मुझसे हाँ या ना में फैसला कराती हो 
फिर खामोश रहकर मुझे दिल से डराती हो

नाराजगी दिखाकर तुम मुझे खूब डराती हो
मैं नाराज हो जाऊं तो फिर मुझे हंसाती हो

ज़िन्दगी तुम भी न मुझे कितना सताती हो

पास आकर रोज मेरे तुम दूर चली जाती हो

Sunday, May 18, 2014

गीत गाता हूँ मैं ......

तेरे साथ से भी ज्यादा तेरी जुदाई तेरी है सनम
मुझे एक पल के लिए भी कहीं और जाने नहीं देती

मैं लाख छुपाना चाहता हूँ मोहोब्बत को तेरी जमाने से 
तेरे ख़याल से ही आई चेहरे पे हंसी छुपाने नहीं देती

पाता तो आया हूँ मैं दुनियां के सब तमाशों को बेख्वाहिश यूँ ही 
आज एक ख्वाहिश की है तो ये दुनिया उसे मुझे पाने नहीं देती

आओगे फिर शहर-ए-खामोशा में जब लहद में मिल जाउंगा मैं
जीते जी ये तमाशबीन दुनियां तुझे मेरे पास आने नहीं देती

प्यार को जी के भी गीत गम के गाता है हर घडी "बादल"

दिलख़ुशी में भी गीत ख़ुशी के मोहोब्बत गाने नहीं देती

Wednesday, May 14, 2014

मालूम तुझे ...?

तू मेरे करीब रहने लगी है
ये मेरा दिल ही नहीं
अब लोग कहते हैं

मैं तुझे सही समझता हूँ
ये मन ही नहीं मेरा
अब लोग कहते हैं

वजूद अब रौब दिखाता है
अंदाज नहीं अपना
अब लोग कहते हैं

तुम आये थे कुछ कहने हमें
कुछ सुनी सुनाई सी
अब लोग कहते हैं

तुम्हें मैं कुछ कहता हूँ यूँ ही
शायरी इन बातों को
अब लोग कहते हैं

@kki 



अहसास...एक अनवरत इल्तिजा

जब तू आई तो ख्वाब आया
मेरे दिल में कुछ ,
पहले न था...!

तुममें ही खुद को पूरा पाया
ऐसा  मैं
पहले न था

तुमसे ही जीवन बदला है
ऐसा बदलाव
पहले न था

खुद से ही जुड़ गया हूँ खुद मैं
ये जुड़ाव मुझमे
पहले न था

फक्कड़ था मन में मैं मोही नहीं
मौजों का प्यासा
पहले न था

ऐसी प्यास जो बुझे तो मिले चैन
ऐसे बेचैन मैं
पहले न था

@kki


हुबहू ...



जिस मोड़ पे आये हैं उस मोड़ से जातेहै, कुछ सुस्त कदम रस्ते
कुछ तेज कदम राहे
पत्थर की हवेली को, शीशे के घरोंदो में, तिनको के नशेमन तक
इस मोड़ से जाते है...
आंधी की तरह
उड़कर, एक राह गुजरती है
शरमाती हुयी कोई,
क़दमों से उतरती है
इन रेशमी राहो में, एक राह तो वो होगी
तुम तक जो पहुचती है
इस मोड़ से जाते है..
एक दूर से आती है,पास आके पलटती है
एक राह अकेली सी,रुकती हैं ना चलती है
ये सोच के बैठी हूँ, एक राह तो वो होगी
तुम तक जो पहुचती है
इस मोड़ से जाते है.. ..!!


*****

Monday, May 12, 2014

बहुत खुश हूँ मैं ...!!

जीवन में तुम आई
चेहरे पे हंसी आई
बहुत खुश हूँ मैं .!

कुछ ख्वाब बुने
एक राह चुनी
बहुत खुश हूँ मैं ..!

हर चीज़ से प्यार
हर हवा हुई बहार
बहुत खुश हूँ मैं ..!

पहले सौ में था तन्हा
अब हरदम तू साथ है
बहुत खुश हूँ मैं ..!

जीवन में कुछ पाना न था
अब सब पा लिया मानो
बहुत खुश हूँ मैं ..!!

@kki

Sunday, May 4, 2014

ये क्या बात हुई ...?

तुम्हे प्यार भी करे और भूल भी जाये
                                 मन है मेरा कोई  पूर्वलिखित किरदार नहीं

तुम मुझे अपना भी मानती हो और गैर भी
                                   देखो दिल से मेरे यूँ खेलने की दरकार नहीं

हाँ ठीक है माना कुछ पाबंदियां है जहाँ में
                                   पर मेरा रिवाजों को निभाने से इनकार नहीं

हाँ आएगा कोई दरमियाँ बदकिस्मती मेरी
                                  लेकिन मेरा उसके आने में कोई इकरार नहीं

कोई पा तो सकता है मेरे जिस्म को जाने-वफ़ा
                               पर सिवा तेरे रूह पे किसी गैर का अधिकार नहीं

मैं मानता हूँ होगा वही जो किस्मत ने सोचा है पर
                            हमराही जब तू है किसी मंजिल का इन्तजार नहीं

_____
@kki










Saturday, May 3, 2014

तारीफ

तारीफ तेरी लिखनी है मुझको कहो क्या क्या लिखूं
हंसी लिखूं ,ख़ुशी लिखूं ,या फिर मेरी जान लिखूं ?

यूँ तुम मेरा लेखन हो मैं खुल के तुझे सर-ए-शाम  लिखूं
भाषा भले न आती हो पर मैं तुझे दिल की जुबान लिखूं?

यूँ तुम एक चित्र हो सुनहरा बन बन के मैं चित्रकार लिखूं
खिलती  सुबह ,उजली दुपहर या फिर महकती शाम लिखूं?

यूँ तुम जीवित साहित्य हो, कहो क्या बन फनकार  लिखूं
काव्य,कविता,शे'र ,गजल तुम ,तुमको बन कलाकार लिखूं?

यूँ तुम गुलों की बगिया हो ,क्या बन कर के बागबान लिखूं
रातों में महकती बेल लिखूं या सहरा में खिला गुलाब लिखूं ?

यूँ तुम बहती नदिया हो ,क्या मैं बन के तेरी धार लिखूं
चलती लहर,चुपचाप झील या, सावन की फुहार लिखूं ?

कहो सनम क्या लिखूं तुझे मैं, क्या जीवन का सार लिखूं
चैन-सुकुं,अरमान,आरज़ू,या दिल में उमड़ता प्यार लिखूं ?

_____
@kki









Friday, May 2, 2014

दो धड़कते दिलों की बातें

कुछ बोलेगी नहीं ,?
अच्छे शे'र हैं..!
बस .! और कुछ नहीं कहना ?
और गुड नाईट ..!!
ओये स्मार्टी,सुन ना , गुस्सा है ?
ना ..!
यार अजीब सा लग  रहा है ?
 क्यूँ ?
पता नहीं ,दर सा लग रहा है ..!
किसका ?
पता नहीं ?
.........
कोई गलती की होगी मैंने ?
मुझे कैसे पता ?
बता न ?
ना कोई गलती नहीं हुई तुमसे ..!
फिर ये डर कैसा ?
मुझे क्या पता ?

अजीब दास्ताँ है ये ,कहाँ शुरू कहाँ ख़तम
ये मंजिले हैं कौनसी न तुम समझ सके न हम

खाना खाया ?
हाँ , तुमने ?
ना .!
बना नहीं क्या ?
बनी है, गन्दी सी खिचड़ी ..!
खिचड़ी में गन्दा क्या है ?
अजीब सी है सुखी सुखी ..!!
तो थोडा पानी डाल के गैस ओं करो तो वोह गरम भी हो जाएगी और नरम भी .
हाँ क्या ? ऐसा होता है ?ख़राब नहीं हो जाएगी ?
नहीं ..!
करूँ ?
पर हाफ गिलास ही डालना ..!
ओके , हाफ ज्यादा नहीं हो जायेगा ?
तो 1/4  डाल के देखो ..!
ओके , वेट ..... हो गयी रे ठंकू :)
मेंशन नोट
स्माइली प्लीज ..!
:D
लिट्टी चोखा खाया तुमने कभी ?
नो..!
मस्त होता है ,बिहारी डीश है , अल्टीमेट टेस्ट .
ओके ..
तू बस उतना ही बोलेगी जितना पूछूँगा ?
हाँ ?
क्यूँ ?
ऐसे ही ,ज्यादा बोलना अच्छा नहीं होता
मुझे अच्छा नहीं लग रहा ..!
क्या करूँ जो तुम्हे अच्छा लगे तुम ही बता दो ..?
मैं जो बोलूं वो करेगी ?
हाँ अगर कर सकी तो ..!
कल डेट पे चलते हैं ..?
नहीं जाना मुझे कहीं भी ..!!
अबी तो बोली तेरी ख़ुशी बोल , मेरी ख़ुशी इसमें है की तू खुश रहे ,और मुझे पता है तू परेशान है शाम के बाद ,
मेरी बातों से, मेरे व्यवहार से , मेरे तोर तरीकों से ,इस के लिए क्या करूँ की मेरा सब कुछ तुझे अच्छा लगे ?
ताकि तू मेरे साथ जितनी भी रहे , जैसे भी रहे खुश रहे ?
गलती तुम्हारी नहीं मेरी है , मैं सबको अपने हिसाब से चलाना चाहती हूँ ..!
आर यू सीरियस ?
यस आई ऍम सीरियस ..!
बट मेरे साथ भी तुम्हे यही लगा ?
हाँ ..!
आई डोंट थिंक सो , मैं तो खुश हूँ तुम्हारे साथ ,
मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं फिर ऐसा क्यूँ ?
बोलो कुछ ?

पता नहीं ..!
क्या पता नहीं ये के तुम गलत हो या नहीं ?

अच्छा सुन छोड़ ये गफलत भरी बातें ,न तुझे पता न मुझे
कल शाम को मैं अपने लैपटॉप के साथ मुंबई के किसी कोने में बैठूँगा ,शाम तक अगर तू फ्री हो और अगर तुझे अच्छा फील न हो रहा हो तो बोल देना ,
शाम को एक कोफ़ी पी लेंगे ..
थोडा हंस लेंगे थोडा जी लेंगे ,
अब तू सो जा चाहे , लगता है तू थक गयी है , और मैं भी क्या थकेली बात के के बैठ गया
सुन रही है न तू ?
हाँ सुन रही हूँ मैं ..!!
वैसे एक बात बोलूं ? मुझे तेरे "हिसाब" से जीना पसंद है , सो आई नेवर माईंड अगर तू अपने हिसाब से मेरे साथ जिए क्यूँ के इससे मुझे बभी जिन्दा होने का अहसास होता है .सच्ची ! आई फील अलाइव,विद यू स्मार्टी
:)
:)
दैट्स वाट आई वाज लूकिंग फॉर ,अ नेचुरल स्माइल ,थैंक यू माय डिअर.
माय प्लेजर..!
नाऊ यू कैन गो न स्लीप वेल ..!
एक बात पूछूं ?
ह्म्म्म
ये मेरा नाम स्मार्टी रखने की क्या मन में आई ?
बिकाज,जब सब लोग मुझे डफर मिल रहे थे और हर कोई मुझे डफर बोल रहा था , तब कोई दिखा जो अपने आप में स्मार्ट लगा , और जो बहुत स्मार्ट है ,सो उसके लिए स्मार्टी से अच्छा नाम नहीं मिला .

ओके ..!
क्यूँ पूछा अच्छा नहीं लगा ?
ऐसे ही, ऐसा कुछ नहीं है जिसको जो बोलना हो वो बुलाये ,
ह्म्म्म ..वैसे तू मेरी कविता भी है,शायरी भी ,गजल भी और कहानी भी .!
:) बटर लगा रहा है ?
हाहा , नहीं रे..सच्ची बोल रहा हूँ मेरा ब्लॉग गवाह है इसका ..!
थैंक्स ..!
थैंक्स टू यू , मुझे इतना कुछ देने के लिए . बदले में मैं क्या दे रहा हूँ ..? टेंशन और अजीब तरीके जा बिहेवियर?
:(
ये देखो ,अब मैं बटर लगाऊं क्या ?
ना ..आई ऍम नोट ब्रेड ..!
प्लीज स्मार्टी एक बार थोडा सा लगाऊं ?
एंड यू अरे नोट अ नॉन वेजी ..!
खाऊंगा नहीं सिर्फ लगाना है ..लगाऊं?
ओके ..!
तू जब रोती है न , तो बहुत क्यूट लगती है ,मन करता है तेरे गालों को पकड़ के कूगली वूगली वूश कर दूँ .
तो मतलब तू मुझे रुलाता रहेगा ?
हाहा ,नहीं रे मैं तो  बता रहा हूँ की तु जब रोती है   , सो
क्या सो ..?
और लगाऊं ?
नहीं बस हो गया ..!
हाहा ,मुझे लगा तुझे मजा आ रहा है :D
एक तो रुलाता है ,फिर मनाता है ....पागल
चल आ..! गिव में अ हग ..!
नहीं दूंगी हग..!
चल न , एक ,बस एक ..?
नहीं ..
अरे बस एक प्लीज ..?
नेक्स्ट टाइम ऐसा किया न तो नो हग ,नो बात , नो कुकिंग टिप्स ..!
ऐसा मने वो शाम को किया वैसा,? मतलब जो फ़ोन पे किया वैसा न ?
हाँ ..!
देखा मैंने कहा न तुम नाराज हो , अब आई न बात ..ओके नहीं करूँगा ...
......../\...........
:) थैंक यू , होल्ड में टाइट फॉर अ सेक ..वाह दिल सुफियाना हो जाता है तुझे महसूस कर के
बस अब छोडो हो गया एक सेक..!
नहीं छोड़ना , थोड़ी देर रुको न ..तुम्हे ख़ुशी नहीं मिलती इसमें ?
मिलती है ..पर....यू नो .....
या आई नो,देर आर लिमिट्स , आई नो ,आई नो..बट आई विल नेवर क्रॉस इट,नेवर यू विल फील में अदरवाईज , आई जस्ट वाना फील गुड एंड लेट यू फील बेटर ..!
ओके , देन गुड नाईट , स्वीट ड्रीम्स, टेक केयर .
ओके ,आल फॉर यू टू ,गुड नाईट ,जाओ क्या देख रहो हो मैं यहीं मिलूँगा ,दिल के पास ..!
.बेटर , यू आल्सो स्लीप नाऊ ..:)
लिखूं नहीं ब्लॉग..?
कल लिख लेना इतना अर्जेंट नहीं है
ओके , दें गुड नाईट टू मी टू ..
नींद न आये तो लिखो,और नींद आये तो फर्स्ट स्लीप ..!
गुड नाईट
गुड नाईट
बाय
बाय
ये फाइनल है
हाँ बोलो
गुड नाईट
लव यू स्मार्टी ..!!
......टू अक्की .!!
चलेगा , जाओ अब









Thursday, May 1, 2014

नाफरमान दिल

आज घबराया दिल अमलन को देख कर
चैन से कोई यहाँ मुराद भी नहीं कर सकता  ?

ये अब्ना है दिलों की कोई तिजारत नहीं है
अबस क्या कोई यहाँ इश्क भी नहीं कर सकता ?

जिसके आने से दिल को सुकून आता है गोया
क्या यहाँ कोई ये इकरार भी नहीं कर सकता ?

क्यूँ ये इज्तिऱाब-ए-उफ्ताद रहता है मेरे दिल में
क्या आशिक इश्क पे एतबार भी नहीं कर सकता ?

लगे आवाज-ए-इब्तिसाम किसी की अजान सी
क्या नफ्स यहाँ कोई नमाज भी नहीं कर सकता ?

______
*अमलन - यथार्थ
*अब्ना - संधि
*तिजारत - व्यापार
*अबस -लाभहीन
* इज्तिऱाब-ए-उफ्ताद - दुर्घटना की आशंका
*आवाज-ए-इब्तिसाम - हंसी की आवाज