Friday, January 3, 2014

असमंजस

पिछले जीवन की आपाधापी से परेशां सा होकर मैं जैसे तैसे पिछले महीने मुंबई आया . मुंबई जहाँ मैं हमेशा से आना चाहता था मुंबई जो मेरे सबसे करीब का शहर है जहाँ आके मुझे आत्म्सिस्वास मिलता है जीवन में कुछ कर गुजरने का . सब सही जा रहा था अपनी पूर्व योजना के अनुरूप मैं मुंबई आया अपने ख़ास दिसत के साथ काम धंधा करने को उसने पूरी गर्मजोशी के साथ मेरा स्वागत किया मुझे अपने दफ्तर की मुख्य कुर्सी सोंपी और हो गया मेरे साथ मानो मेरे बिना वो अधुरा ही बैठा था..मुझे अच्छा लगा बहुत अच्छा पर शायद कही किसी को ये गलत नागवार लग रहा था पर क्यूँ ? मेरे सबसे ख़ास दोस्त के साथ काम करने से किसी को क्या दिक्कत हो सकती है ?