Tuesday, June 24, 2014

आज का दिन

आज दिन कुछ अलग सा लगा
तेरा आना , आकर सुकून से
मेरी बाहों में सिमट के सोना
हँसना ,बतियाना , गुदगुदाना
मेरे दिल के गहरे समंदर में
मानो कोई ठंडी लहर दौड़ चली

तेरे गेसुओं में उँगलियों को घुमाना
लगा मानो जहाँ भर की तसल्ली पाना
हर एक सांस में तेरा मुझमे सिमटना
कुछ ऐसा भाया मेरी बाहों को तुझे थामना
रगों में दौड़ते खून को धीरे से चलाना
कहीं उसकी चाल से तेरी नींद न टूटे आज के दिन



तेरे होठों के नर्म अहसास को पाना
तेरे गालों पे मोहोब्बत जाहिर करना
तेरी आँखों को अपनी पलकों से सहलाना
तेरी गर्म साँसों के साथ साँसों को मिलाना
तेरे सीने पे सर रखकर धडकनों को सुनना
तेरी रूह से खुद को जोड़ प्यार के सपने बुनना
दिलों की एक मुक्कम्मल मुलाक़ात थी आज का दिन

अपने दिलों के डर पे  आँखों में आँखे डाल
एकदूसरे से बातें करना ,और बेखोफ हो कर
एकदूसरे की भीगी पलकों के भीतर छुपी
मोहोब्बत की सच्चाईयों को यूँ जानना
और फिर सच्ची निर्भय आँखों का आँखों से
अटूट ,अडिग इरादे के साथ इश्क का इजहार
हमने अपने प्यार के नाम कर दिया आज का दिन

बेरहम वक़्त का अपनी रफ़्तार से तेज़ होना
मन ही मन उसे कोसना और जुदाई पे रोना
प्यार पाने के बड़े अहसास के नीचे दब गया
अपना जुदा होना यूँ मिलकर फिर साथ खोना
ये नयी बात नहीं है यूँ शाम का  तनहा होना
अचानक दिलों का एकदूसरे के प्यार में खोना
मोहोब्बत के अहसास को जिन्दा कर गया आज का दिन

आज दिन वाकई अलग था ..है ना ?