Sunday, November 2, 2014

तारीफ़-नामा

तुलना तेरे रूप की मैं
करने को हजारों कर दूँ
जहाँ की खूबसूरती से पर
अपनी नजर से देखा मैंने

रेशमी लहराती जुल्फों के बीच
लाल गहराई सी बिंदिया
तेरे माथे पे दिखी और लगा
जैसे जीवन का सारा सम्मोहन
उसी में बना हुआ है !

गजब का जीवन संगीत है
तेरी बोलती आँखों में
बसंती बयार सी लगी तुम
जब देखा तुझे पीले भेष में

सुर्ख गुलाबी कपोलों तक
लाल मुस्काते अधरों से जो ये
मुस्कान बैठी है ना ,बस उसी में
जैसे मेरी जान बसती है

अपने सीने पे उतरते इस
हरे से पत्थर को पूछना,
कितना मोल उसका बढ़ा होगा
जब वो उतरा होगा मोतियों के सहारे
तेरे खूबसूरत गले को चूम के

यूँ श्रृंगार से बदन चमकते हैं
पर श्रृंगार चमक रहा है तेरी
बल खाती सोन-मछली जैसी
गोरी -केसरी दमक से .

बेचैन दिल तसल्ली पाता है जब
देखता हूँ अपनी ज़िन्दगी को
यूँ दिल में  रंग बिखेरते हुए
अच्छा लगा इतना की
बस लिख दिया ज़िन्दगी को
दिल से निकला ये  "तारीफ़नामा

#Smarty






Sunday, September 7, 2014

जिंदगीनामा ...!!

आज मैंने मायूस बातें करती
ज़िन्दगी को खुद से लड़ते देखा
हताश और कुछ निराश  सी
बोझिल,बेबस टूटती आस सी
हर नफस का साथ छोड़ती सी
हर बंधन ओ 'रिवाज को तोड़ती सी
व्यर्थ से लगने वाले खुद के जीवन
बदल चुके मन को मोड़ती सी

देख के मेरे मन में अनायास ही आया
ऐसा भी क्या है जो तू हार जाये
रहा होगा कल आज से हंसी तेरा
गुजरा होगा कुछ समय जीवन का
बदरंग,नीरस और लाचार सा तेरा
फूलों के साथ भी रहते कांटे जहाँ में
अपनी फितरत से तू चाहे अगर
आने वाले हर कल को संवार लाये 

शायद दिल की बात उसने समझ ली 
अचानक मुस्कान चेहरे पे लौट आई
फितरत को सँभालते हुए ज़िन्दगी
निराशाओं के गले को घोंट आई
शाम ढले जब फिजा बदली शहर में
खत्म हो गया वो बुरा सा सपना
जो देखा था आज भरी दोपहर में
ज़िन्दगी जीती दिखी मतलबी जहाँ में
बामतलब ,हंसती ,खिलखिलाती सी
नाचते-कूदते बच्चों में बच्ची सी 
आज लगी मुझे ज़िन्दगी लौटती सी  


#Smarty






Tuesday, July 22, 2014

मान जाइए ....


अजी छोडिये यूँ मन की गति से चलना 
 मन को रोकिये और कहीं दिल लगाइए 

जीतें हैं लोग आपको भी देखकर इस जहां में
लिखती हुई इस कलम को ही पहचान जाइए 

ग़मों को उगल कर कर किसी नफस के आगे
उदासी को दीजिए तिलांजलि और मुस्कुराइए

मौत से तो मिलना हो ही जाएगा एक दिन
बहरहाल आप मरना छोड़ जिंदगी जी आइये

मैं भी चला जा रहा हूँ अनजान सफ़र पे
कहीं और नहीं जाना तो मेरे साथ आइये






Friday, July 11, 2014

प्यार (एक प्राक्कल्पनात्मक अहसास )

 तुमसे प्यार के शारीरिक तौर-तरीकों,
की बात करते करते कल दोपहर फिर
जब मैं मुंबई जा रहा था रास्ते में अचनाक 
बारीश शुरू हो गयी,हालांकि मुझे उस से
कोई ख़ास सरोकार नहीं था,

फिर तुमने कहा की' न मैं बतियाती तुमसे
न तू यूँ दीवाना होता न इतनी बात होती
सच कहूँ सारा मेरा कसूर है,तुम हो बेगुनाह'
मुझे लगा मानो अब तक ये सब बेवजह था
अपराध था ये प्यार नहीं था ,

मैं तुझे समझ पाता,खुद को समझाता इतने में  
दिल ने मुझे आवाज दी के,शायद मैं भूल रहा हूँ
बात तो जीने की हुई थी,आपसी गम पीने की हुई थी
तुम क्यूँ अपराधी बनो भला,अगर ये अपराध है तो
ये सिर्फ तेरा ही इजहार नहीं था

मैंने भावावेश में आकर ,अपना सब-कुछ सा खोकर
कह दिया के ,चलो बन जाते हैं अजनबी फिर से हम
तुम जी कर देखो अपने नए जीवन को अपने ढंग से
मैं चाहूँगा तुम्हें देखना,अपने जीते जी ख़ुशी से मेरे बिन
कुछ ऐसे जैसे हमें प्यार नहीं था

तुमने झट से कहा की नहीं रह सकती मैं खुश तेरे बिन
मैं पहले थोड़ा सा घबराया,फिर एकदम से मुस्कुराया
खुश ही तो मैं रखना चाहता हूँ तुझे हर पल मेरी मुस्कान
किसी को खुश रखना और उस ख़ुशी को महसूस करने से
दो अजनबियों को इंकार नहीं था   


@akki
  




Wednesday, July 2, 2014

मैं और एक खामोश प्रेम कहानी ...


कल पुरे दिन की बारीश के बाद
आज सुबह जब थोडा धूप खिली
बारीश से खिले मोगरे के बदन पर
आकर बैठ गयी एक नाजुक तितली

उसके रंगीन पंखो के नर्म अहसास से
मोगरा मानो आनंद में महक सा गया
ठंडी शीतल हवा के झोंके से हिलता सा
तितली का मन उस महक में बहक सा गया

ये उनकी पहली मुलाकात थी यूँ तो शायद 
मोगरा मंत्रमुग्ध सा उसे निहारे जा रहा था
तितली के नर्म पंखो के हिलने से आने वाली
मादक हवा से पत्तियों को झारे जा रहा था

तितली ने मोगरे से पंख हिलाकर पुछा यूँ
क्या तुम्हें मुझसे प्यार हो गया है ?
मोगरा मुस्कुराया,अपने आप में शरमाया
उसे लगा उसके प्यार का इजहार हो गया है

मोगरे की मुस्कराहट पे ही वो मस्तानी  
उसके दिल को इतना बखूबी जान गयी
बिना कुछ कहे मोगरे की आँखों के प्रेम को
अपने पंखों से छूकर पहचान गयी

प्रेम-प्यासी तो तितली भी थी शायद, हाँ
एक बंधन का ख़याल उसे रोक रहा था
दोनों का प्यार और जरूरतें तो थी मगर
मर्यादा का उल्लंघन उसे टोक रहा था

जब तितली खामोश हो कर बैठ गयी
तब मोगरे ने भी उस अंतर्द्वंद को भांपा
अपनी बड़ी पत्तियों को समेटकर उसने
तितली के नाजुक बदन को खुद में ढांपा

सारी मर्यादाओं के बोझ से दबे हुए से
तितली के मन को प्रेम से साध लिया
तितली ने भी अपने कोमल पंखों को
मोगरे के प्रेमानुग्रह में  बाँध लिया

अपने अपने जीवन की रिक्तताओं को
दूर करने के लिए वो दोनों मिल गए
इस अलौकिक प्रेम में दोनों के बदन
एकदूसरे की खुशबु से मानो खिल गए

मोगरे की जरुरत कोई तितली नहीं है
उसको भाता तितली का अनुराग है
तितली की जरुरत कोई मोगरा नहीं है
उसे रिझाता मोगरे का प्रेम-पराग है

साधारण से शब्दों में लिखी हुई
ठंडी सुबह में दिल की जुबानी
एक पेड़ और और एक पतंगे की ये 
ताज़गी भरी खामोश प्रेम कहानी
अपनी ज़िन्दगी को समर्पित...!!

@kki
...








Tuesday, June 24, 2014

आज का दिन

आज दिन कुछ अलग सा लगा
तेरा आना , आकर सुकून से
मेरी बाहों में सिमट के सोना
हँसना ,बतियाना , गुदगुदाना
मेरे दिल के गहरे समंदर में
मानो कोई ठंडी लहर दौड़ चली

तेरे गेसुओं में उँगलियों को घुमाना
लगा मानो जहाँ भर की तसल्ली पाना
हर एक सांस में तेरा मुझमे सिमटना
कुछ ऐसा भाया मेरी बाहों को तुझे थामना
रगों में दौड़ते खून को धीरे से चलाना
कहीं उसकी चाल से तेरी नींद न टूटे आज के दिन



तेरे होठों के नर्म अहसास को पाना
तेरे गालों पे मोहोब्बत जाहिर करना
तेरी आँखों को अपनी पलकों से सहलाना
तेरी गर्म साँसों के साथ साँसों को मिलाना
तेरे सीने पे सर रखकर धडकनों को सुनना
तेरी रूह से खुद को जोड़ प्यार के सपने बुनना
दिलों की एक मुक्कम्मल मुलाक़ात थी आज का दिन

अपने दिलों के डर पे  आँखों में आँखे डाल
एकदूसरे से बातें करना ,और बेखोफ हो कर
एकदूसरे की भीगी पलकों के भीतर छुपी
मोहोब्बत की सच्चाईयों को यूँ जानना
और फिर सच्ची निर्भय आँखों का आँखों से
अटूट ,अडिग इरादे के साथ इश्क का इजहार
हमने अपने प्यार के नाम कर दिया आज का दिन

बेरहम वक़्त का अपनी रफ़्तार से तेज़ होना
मन ही मन उसे कोसना और जुदाई पे रोना
प्यार पाने के बड़े अहसास के नीचे दब गया
अपना जुदा होना यूँ मिलकर फिर साथ खोना
ये नयी बात नहीं है यूँ शाम का  तनहा होना
अचानक दिलों का एकदूसरे के प्यार में खोना
मोहोब्बत के अहसास को जिन्दा कर गया आज का दिन

आज दिन वाकई अलग था ..है ना ?















Saturday, May 24, 2014

समझाईश

किस कदर बेहाल है आजकल मेरे दोस्त मुझसे ए गुलबदन 
जब से बना शौक तेरे दीदार का सारे शौक  जैसे मर गए

आजा चलते हैं कहीं दूर किसी राह पे जहाँ खुशियाँ मिले
जितने देने वाले थे ख़ुशी हमको अब वो बात से मुकर गए

आये थे मुझे समझाने समझदार लोग जहाँ भर के 
सब आये समझाया और हँसते हँसते अपने घर गए

इश्क के मोहल्लों में रोशनी कम होती है आजकल
जो काम सयाने नहीं कर पाए वो दीवाने कर गए

गफलत में जीने वाले जी कर भी मुर्दा रहते हैं जहाँ में

जिंदादिली से जीने वाले ज़माने को जिंदाबाद कर गए

Tuesday, May 20, 2014

जिंदगी तुम भी ना ....

तुम मेरी हो  शायद रोज मुझे सुनाती हो
तुम गैर की हो ये अहसास भी कराती हो

यूँ तुम मुझे दुनियां से लड़ना सिखाती हो 
और कभी दुनियां से डरना भी सिखाती हो

रोज मुझसे हाँ या ना में फैसला कराती हो 
फिर खामोश रहकर मुझे दिल से डराती हो

नाराजगी दिखाकर तुम मुझे खूब डराती हो
मैं नाराज हो जाऊं तो फिर मुझे हंसाती हो

ज़िन्दगी तुम भी न मुझे कितना सताती हो

पास आकर रोज मेरे तुम दूर चली जाती हो

Sunday, May 18, 2014

गीत गाता हूँ मैं ......

तेरे साथ से भी ज्यादा तेरी जुदाई तेरी है सनम
मुझे एक पल के लिए भी कहीं और जाने नहीं देती

मैं लाख छुपाना चाहता हूँ मोहोब्बत को तेरी जमाने से 
तेरे ख़याल से ही आई चेहरे पे हंसी छुपाने नहीं देती

पाता तो आया हूँ मैं दुनियां के सब तमाशों को बेख्वाहिश यूँ ही 
आज एक ख्वाहिश की है तो ये दुनिया उसे मुझे पाने नहीं देती

आओगे फिर शहर-ए-खामोशा में जब लहद में मिल जाउंगा मैं
जीते जी ये तमाशबीन दुनियां तुझे मेरे पास आने नहीं देती

प्यार को जी के भी गीत गम के गाता है हर घडी "बादल"

दिलख़ुशी में भी गीत ख़ुशी के मोहोब्बत गाने नहीं देती

Wednesday, May 14, 2014

मालूम तुझे ...?

तू मेरे करीब रहने लगी है
ये मेरा दिल ही नहीं
अब लोग कहते हैं

मैं तुझे सही समझता हूँ
ये मन ही नहीं मेरा
अब लोग कहते हैं

वजूद अब रौब दिखाता है
अंदाज नहीं अपना
अब लोग कहते हैं

तुम आये थे कुछ कहने हमें
कुछ सुनी सुनाई सी
अब लोग कहते हैं

तुम्हें मैं कुछ कहता हूँ यूँ ही
शायरी इन बातों को
अब लोग कहते हैं

@kki 



अहसास...एक अनवरत इल्तिजा

जब तू आई तो ख्वाब आया
मेरे दिल में कुछ ,
पहले न था...!

तुममें ही खुद को पूरा पाया
ऐसा  मैं
पहले न था

तुमसे ही जीवन बदला है
ऐसा बदलाव
पहले न था

खुद से ही जुड़ गया हूँ खुद मैं
ये जुड़ाव मुझमे
पहले न था

फक्कड़ था मन में मैं मोही नहीं
मौजों का प्यासा
पहले न था

ऐसी प्यास जो बुझे तो मिले चैन
ऐसे बेचैन मैं
पहले न था

@kki


हुबहू ...



जिस मोड़ पे आये हैं उस मोड़ से जातेहै, कुछ सुस्त कदम रस्ते
कुछ तेज कदम राहे
पत्थर की हवेली को, शीशे के घरोंदो में, तिनको के नशेमन तक
इस मोड़ से जाते है...
आंधी की तरह
उड़कर, एक राह गुजरती है
शरमाती हुयी कोई,
क़दमों से उतरती है
इन रेशमी राहो में, एक राह तो वो होगी
तुम तक जो पहुचती है
इस मोड़ से जाते है..
एक दूर से आती है,पास आके पलटती है
एक राह अकेली सी,रुकती हैं ना चलती है
ये सोच के बैठी हूँ, एक राह तो वो होगी
तुम तक जो पहुचती है
इस मोड़ से जाते है.. ..!!


*****

Monday, May 12, 2014

बहुत खुश हूँ मैं ...!!

जीवन में तुम आई
चेहरे पे हंसी आई
बहुत खुश हूँ मैं .!

कुछ ख्वाब बुने
एक राह चुनी
बहुत खुश हूँ मैं ..!

हर चीज़ से प्यार
हर हवा हुई बहार
बहुत खुश हूँ मैं ..!

पहले सौ में था तन्हा
अब हरदम तू साथ है
बहुत खुश हूँ मैं ..!

जीवन में कुछ पाना न था
अब सब पा लिया मानो
बहुत खुश हूँ मैं ..!!

@kki

Sunday, May 4, 2014

ये क्या बात हुई ...?

तुम्हे प्यार भी करे और भूल भी जाये
                                 मन है मेरा कोई  पूर्वलिखित किरदार नहीं

तुम मुझे अपना भी मानती हो और गैर भी
                                   देखो दिल से मेरे यूँ खेलने की दरकार नहीं

हाँ ठीक है माना कुछ पाबंदियां है जहाँ में
                                   पर मेरा रिवाजों को निभाने से इनकार नहीं

हाँ आएगा कोई दरमियाँ बदकिस्मती मेरी
                                  लेकिन मेरा उसके आने में कोई इकरार नहीं

कोई पा तो सकता है मेरे जिस्म को जाने-वफ़ा
                               पर सिवा तेरे रूह पे किसी गैर का अधिकार नहीं

मैं मानता हूँ होगा वही जो किस्मत ने सोचा है पर
                            हमराही जब तू है किसी मंजिल का इन्तजार नहीं

_____
@kki










Saturday, May 3, 2014

तारीफ

तारीफ तेरी लिखनी है मुझको कहो क्या क्या लिखूं
हंसी लिखूं ,ख़ुशी लिखूं ,या फिर मेरी जान लिखूं ?

यूँ तुम मेरा लेखन हो मैं खुल के तुझे सर-ए-शाम  लिखूं
भाषा भले न आती हो पर मैं तुझे दिल की जुबान लिखूं?

यूँ तुम एक चित्र हो सुनहरा बन बन के मैं चित्रकार लिखूं
खिलती  सुबह ,उजली दुपहर या फिर महकती शाम लिखूं?

यूँ तुम जीवित साहित्य हो, कहो क्या बन फनकार  लिखूं
काव्य,कविता,शे'र ,गजल तुम ,तुमको बन कलाकार लिखूं?

यूँ तुम गुलों की बगिया हो ,क्या बन कर के बागबान लिखूं
रातों में महकती बेल लिखूं या सहरा में खिला गुलाब लिखूं ?

यूँ तुम बहती नदिया हो ,क्या मैं बन के तेरी धार लिखूं
चलती लहर,चुपचाप झील या, सावन की फुहार लिखूं ?

कहो सनम क्या लिखूं तुझे मैं, क्या जीवन का सार लिखूं
चैन-सुकुं,अरमान,आरज़ू,या दिल में उमड़ता प्यार लिखूं ?

_____
@kki









Friday, May 2, 2014

दो धड़कते दिलों की बातें

कुछ बोलेगी नहीं ,?
अच्छे शे'र हैं..!
बस .! और कुछ नहीं कहना ?
और गुड नाईट ..!!
ओये स्मार्टी,सुन ना , गुस्सा है ?
ना ..!
यार अजीब सा लग  रहा है ?
 क्यूँ ?
पता नहीं ,दर सा लग रहा है ..!
किसका ?
पता नहीं ?
.........
कोई गलती की होगी मैंने ?
मुझे कैसे पता ?
बता न ?
ना कोई गलती नहीं हुई तुमसे ..!
फिर ये डर कैसा ?
मुझे क्या पता ?

अजीब दास्ताँ है ये ,कहाँ शुरू कहाँ ख़तम
ये मंजिले हैं कौनसी न तुम समझ सके न हम

खाना खाया ?
हाँ , तुमने ?
ना .!
बना नहीं क्या ?
बनी है, गन्दी सी खिचड़ी ..!
खिचड़ी में गन्दा क्या है ?
अजीब सी है सुखी सुखी ..!!
तो थोडा पानी डाल के गैस ओं करो तो वोह गरम भी हो जाएगी और नरम भी .
हाँ क्या ? ऐसा होता है ?ख़राब नहीं हो जाएगी ?
नहीं ..!
करूँ ?
पर हाफ गिलास ही डालना ..!
ओके , हाफ ज्यादा नहीं हो जायेगा ?
तो 1/4  डाल के देखो ..!
ओके , वेट ..... हो गयी रे ठंकू :)
मेंशन नोट
स्माइली प्लीज ..!
:D
लिट्टी चोखा खाया तुमने कभी ?
नो..!
मस्त होता है ,बिहारी डीश है , अल्टीमेट टेस्ट .
ओके ..
तू बस उतना ही बोलेगी जितना पूछूँगा ?
हाँ ?
क्यूँ ?
ऐसे ही ,ज्यादा बोलना अच्छा नहीं होता
मुझे अच्छा नहीं लग रहा ..!
क्या करूँ जो तुम्हे अच्छा लगे तुम ही बता दो ..?
मैं जो बोलूं वो करेगी ?
हाँ अगर कर सकी तो ..!
कल डेट पे चलते हैं ..?
नहीं जाना मुझे कहीं भी ..!!
अबी तो बोली तेरी ख़ुशी बोल , मेरी ख़ुशी इसमें है की तू खुश रहे ,और मुझे पता है तू परेशान है शाम के बाद ,
मेरी बातों से, मेरे व्यवहार से , मेरे तोर तरीकों से ,इस के लिए क्या करूँ की मेरा सब कुछ तुझे अच्छा लगे ?
ताकि तू मेरे साथ जितनी भी रहे , जैसे भी रहे खुश रहे ?
गलती तुम्हारी नहीं मेरी है , मैं सबको अपने हिसाब से चलाना चाहती हूँ ..!
आर यू सीरियस ?
यस आई ऍम सीरियस ..!
बट मेरे साथ भी तुम्हे यही लगा ?
हाँ ..!
आई डोंट थिंक सो , मैं तो खुश हूँ तुम्हारे साथ ,
मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं फिर ऐसा क्यूँ ?
बोलो कुछ ?

पता नहीं ..!
क्या पता नहीं ये के तुम गलत हो या नहीं ?

अच्छा सुन छोड़ ये गफलत भरी बातें ,न तुझे पता न मुझे
कल शाम को मैं अपने लैपटॉप के साथ मुंबई के किसी कोने में बैठूँगा ,शाम तक अगर तू फ्री हो और अगर तुझे अच्छा फील न हो रहा हो तो बोल देना ,
शाम को एक कोफ़ी पी लेंगे ..
थोडा हंस लेंगे थोडा जी लेंगे ,
अब तू सो जा चाहे , लगता है तू थक गयी है , और मैं भी क्या थकेली बात के के बैठ गया
सुन रही है न तू ?
हाँ सुन रही हूँ मैं ..!!
वैसे एक बात बोलूं ? मुझे तेरे "हिसाब" से जीना पसंद है , सो आई नेवर माईंड अगर तू अपने हिसाब से मेरे साथ जिए क्यूँ के इससे मुझे बभी जिन्दा होने का अहसास होता है .सच्ची ! आई फील अलाइव,विद यू स्मार्टी
:)
:)
दैट्स वाट आई वाज लूकिंग फॉर ,अ नेचुरल स्माइल ,थैंक यू माय डिअर.
माय प्लेजर..!
नाऊ यू कैन गो न स्लीप वेल ..!
एक बात पूछूं ?
ह्म्म्म
ये मेरा नाम स्मार्टी रखने की क्या मन में आई ?
बिकाज,जब सब लोग मुझे डफर मिल रहे थे और हर कोई मुझे डफर बोल रहा था , तब कोई दिखा जो अपने आप में स्मार्ट लगा , और जो बहुत स्मार्ट है ,सो उसके लिए स्मार्टी से अच्छा नाम नहीं मिला .

ओके ..!
क्यूँ पूछा अच्छा नहीं लगा ?
ऐसे ही, ऐसा कुछ नहीं है जिसको जो बोलना हो वो बुलाये ,
ह्म्म्म ..वैसे तू मेरी कविता भी है,शायरी भी ,गजल भी और कहानी भी .!
:) बटर लगा रहा है ?
हाहा , नहीं रे..सच्ची बोल रहा हूँ मेरा ब्लॉग गवाह है इसका ..!
थैंक्स ..!
थैंक्स टू यू , मुझे इतना कुछ देने के लिए . बदले में मैं क्या दे रहा हूँ ..? टेंशन और अजीब तरीके जा बिहेवियर?
:(
ये देखो ,अब मैं बटर लगाऊं क्या ?
ना ..आई ऍम नोट ब्रेड ..!
प्लीज स्मार्टी एक बार थोडा सा लगाऊं ?
एंड यू अरे नोट अ नॉन वेजी ..!
खाऊंगा नहीं सिर्फ लगाना है ..लगाऊं?
ओके ..!
तू जब रोती है न , तो बहुत क्यूट लगती है ,मन करता है तेरे गालों को पकड़ के कूगली वूगली वूश कर दूँ .
तो मतलब तू मुझे रुलाता रहेगा ?
हाहा ,नहीं रे मैं तो  बता रहा हूँ की तु जब रोती है   , सो
क्या सो ..?
और लगाऊं ?
नहीं बस हो गया ..!
हाहा ,मुझे लगा तुझे मजा आ रहा है :D
एक तो रुलाता है ,फिर मनाता है ....पागल
चल आ..! गिव में अ हग ..!
नहीं दूंगी हग..!
चल न , एक ,बस एक ..?
नहीं ..
अरे बस एक प्लीज ..?
नेक्स्ट टाइम ऐसा किया न तो नो हग ,नो बात , नो कुकिंग टिप्स ..!
ऐसा मने वो शाम को किया वैसा,? मतलब जो फ़ोन पे किया वैसा न ?
हाँ ..!
देखा मैंने कहा न तुम नाराज हो , अब आई न बात ..ओके नहीं करूँगा ...
......../\...........
:) थैंक यू , होल्ड में टाइट फॉर अ सेक ..वाह दिल सुफियाना हो जाता है तुझे महसूस कर के
बस अब छोडो हो गया एक सेक..!
नहीं छोड़ना , थोड़ी देर रुको न ..तुम्हे ख़ुशी नहीं मिलती इसमें ?
मिलती है ..पर....यू नो .....
या आई नो,देर आर लिमिट्स , आई नो ,आई नो..बट आई विल नेवर क्रॉस इट,नेवर यू विल फील में अदरवाईज , आई जस्ट वाना फील गुड एंड लेट यू फील बेटर ..!
ओके , देन गुड नाईट , स्वीट ड्रीम्स, टेक केयर .
ओके ,आल फॉर यू टू ,गुड नाईट ,जाओ क्या देख रहो हो मैं यहीं मिलूँगा ,दिल के पास ..!
.बेटर , यू आल्सो स्लीप नाऊ ..:)
लिखूं नहीं ब्लॉग..?
कल लिख लेना इतना अर्जेंट नहीं है
ओके , दें गुड नाईट टू मी टू ..
नींद न आये तो लिखो,और नींद आये तो फर्स्ट स्लीप ..!
गुड नाईट
गुड नाईट
बाय
बाय
ये फाइनल है
हाँ बोलो
गुड नाईट
लव यू स्मार्टी ..!!
......टू अक्की .!!
चलेगा , जाओ अब









Thursday, May 1, 2014

नाफरमान दिल

आज घबराया दिल अमलन को देख कर
चैन से कोई यहाँ मुराद भी नहीं कर सकता  ?

ये अब्ना है दिलों की कोई तिजारत नहीं है
अबस क्या कोई यहाँ इश्क भी नहीं कर सकता ?

जिसके आने से दिल को सुकून आता है गोया
क्या यहाँ कोई ये इकरार भी नहीं कर सकता ?

क्यूँ ये इज्तिऱाब-ए-उफ्ताद रहता है मेरे दिल में
क्या आशिक इश्क पे एतबार भी नहीं कर सकता ?

लगे आवाज-ए-इब्तिसाम किसी की अजान सी
क्या नफ्स यहाँ कोई नमाज भी नहीं कर सकता ?

______
*अमलन - यथार्थ
*अब्ना - संधि
*तिजारत - व्यापार
*अबस -लाभहीन
* इज्तिऱाब-ए-उफ्ताद - दुर्घटना की आशंका
*आवाज-ए-इब्तिसाम - हंसी की आवाज











Wednesday, April 30, 2014

दीदार-ए-हकीक़त


तुमसे मिला,तुझे जाना , तुझे चाह भी बहोत
पर ख़ुशी के मायने सिर्फ यही तो नहीं होते


हम एकदूसरे से मिलने से पहले भी बहुत रोये
ये क्यूँ कहते हो की तुम न होते तो हम न रोते



जिंदगी सब कुछ खोती ही आ रही है अब तक 
ये मत कहो की तुम न होते तो कुछ न खोते


नींद मेरी पहले भी कोसों दूर थी आँखों से दोस्त
तुम ये क्यूँ कहते हो की तुम न होते तो हम सोते 



जो ये होता इल्म के इश्क आज भी हराम है मेरे दोस्त
तो हम दिल की बंजर जमीन पे इश्क का बीज न बोते

----

Tuesday, April 29, 2014

तुम्हारे अहसास ने मुझे सूफी कर दिया ...

तुमसे पहले न थी आज सुबह की राह कोई
बस थी तो उस खामोश रात की आह कोई

तुझे सामने देख मैं तो मानो निशब्द हो गया
तुझे आगोश में लेना मेरा हसीं प्रारब्ध हो गया

अलग हो के लगा के जा रही है जान मेरी
तेरी हंसी की आवाज बन गयी अजान मेरी

ज़िन्दगी को ज़िंदा किया तू एक ऐसी आदत है
इश्क कहूँ या कहूँ आरज़ू तू अब मेरी इबादत है

जामिन इश्क की बन के आई अलसुबह तू जाहिर
बस क्या कहूँ कैसा लगा के देख लिया कोई साहिर

_____

*जामिन - भरोसा दिलाने वाला
*जाहिर - प्रत्यक्ष
*साहिर - जादू




Monday, April 28, 2014

मैं कुछ बैठ यहाँ पे लिखता हूँ आवाज तू उसकी वहां सुने ....!!

अरज
_______________________________________
जिस तरह तेरी मेरी मुलाकात बीत जाए
तेरे बिना आई ये खामोश  रात बीत जाए

फिर चाहे कुछ और बीते या न बीते माही
मेरी तन्हाई तेरी तन्हाई के साथ बीत जाए !!

आभास
_______________________________________

थी अगर मुमकिन कहानी बिन तेरे मेरे जहाँ
फिर कौनसे किरदार का पैगाम तू लाइ यहाँ

है कहाँ वश में हमारी रूह का किरदार देख 
जिंदगानी मोड़ कर लाइ हमें देखो कहाँ !!

जिन्दादिली
_________________________________________

दफ़न होने को थे जो अरमान दिलों में थे पले
लौटी फिर वो ताल जो कदम हमारे साथ चले

निरस हो चुके जीवन में ये देख कहीं हैं फूल खिले
चल चल चलें ,उस राह पे जिस राह पे मंजिल मिले !!

हकीक़त
________________________________________

इस अजब जगत की गजब रीत ये खुद ही सब कुछ बुनता है 
कहनी -सुननी तो सबकी यूँ ,राही खुद अपनी राहें चुनता है

मत सोच अंत क्या होगा इसका जिसकी हुई शुरुआत नई

एक गहरे जिन्दा इंसा की बात ये पागल सुनता है  ...!!

शब्दों से आत्मा का क्रंदन (The Awakening)

जाने कितने दिन हुए ठीक से मैं सोया भी नहीं
पता नहीं क्या है जो मुझे हर रात जगाये रखता है ?

तुम न थी जीवन में तब भी नींद कोसों दूर थी मुझसे
तुम हो तो भी कुछ है ख़ास जो मुझे जगाये रखता है

क्या था मेरे दिल का हाल, जब तुम नहीं थी मेरे पास
जाने ऐसा क्या हुआ मेरे साथ,जो जगाये रखता है ?

ऐसी क्या पीड़ा की कोई नशा भी सुला न पाया गोया
गहरा है शायद वो राज जो मुझे जगाये रखता है

मुझे लोग पागल ही कहने लगे थे, हाँ पागल ही तो
क्या पागलपन का ये अहसास मुझे जगाये रखता है ?

दिल को किसी से लगाने की तमन्ना ही तो थी बस
तमन्ना पालना क्या गुनाह है जो मुझे जगाये रखता है

इसमें मेरा क्या दोष की जो हम मिल गए अचानक से
मिल गए तो बिछडन का अहसास मुझे जगाये रखता है

मेरी छोड़ मैं तुम्हारी सोचता हूँ के क्या होगा तेरे मन में
तेरे मन के करीब होने का आभास मुझे जगाये रखता है

दिल तो करता  है रो दूँ और सो जाऊं तेरी गोद में ए आरज़ू
पर तेरी आँखों का ये अजब सा उजास मुझे जगाये रखता है  



Thursday, April 24, 2014

हाल-ए-दिल (एक ख़याल,एक सवाल )

आज सुबह जब आँख खुली मेरी
वो ही रात का ख़याल दिल में पाया

जिस उम्मीद में रात को सोया था
उसे सुबह ५ बजे ही पूरा हुआ पाया

इसके मायने तलाशता मैं उठा
बालकनी में जाकर खड़ा हुआ

मोगरे पे नया फूल खिला था
कल का फूल वहीँ था पड़ा हुआ

मैंने उसे देखा और वो मुस्कुराया
मेरे दोस्त पैगाम ये तू ये कैसा लाया

अजब बेचैनी सी हुई दिल में फिर से
सही है या गलत समझ नहीं आया ?

Thursday, February 6, 2014

सरकारी आंकड़ो में उलझी भारतीय व्यवस्था .....


ये कुछ सरकारी  आंकड़े हैं जो भारतीय जनगणना विभाग ने ने जारी किये हैं -(२०११)

१.भारत में 60 लाख गाँव है जिनमे ३३ करोड़ परिवार है,घर है .
२. 47% परिवारों के पास घर में ही पानी की व्यवस्था है और 36% परिवार अपने घर से 500 मीटर की दूरी से       पानी लातें है.18% परिवार ऐसे हैं जो 500मीटर से भी अधिक दूर जाकर पानी लाते हैं.
३.58% परिवारों के पास नहाने की सुविधा है
४. 67% परिवारों के पास बिजली है,३१% परिवार केरोसिन का इस्तेमाल रोशनी करने के लिए करते हैं २% के पास वैकल्पिक उर्जा जैसे सौर उर्जा जैसे साधन हैं.
५. ४७% घरों के पास पक्के शोचालय है और ३६% के पास कच्चे पाखाने अभी भी ५३% लोगो के पास किसी भी तरह का शोचालय नहीं है .
६.६७% परिवार इंधन के लिए लकड़ी,गोबर के उपले,कोयला आदि पे निर्भर है जब के सिर्फ २९% परिवारों के पास LPG/PNG/BIOGAS है .और सिर्फ ३% परिवार केरोसिन पे निर्भर है.
७. २०% घरों के पास रेडिओ ,४७% के पास टीवी है जबके सिर्फ ९% के पास कम्पूटर या लैपटॉप है जिनमे से ३% के पास इन्टरनेट है.
८.६३% परिवारों के पास टेलीफ़ोन या मोबाइल है जिनके ५९% के पास मोबाईल है .
९.सिर्फ ५% परिवारों के पास चौपहिया वहां है और २१% घर दुपहिया वहां रखते हैं जब के ४५% के पास साईकिल है
१०. १८% परिवार ऐसे हैं जिनके पास कोई भी सम्पति है नहीं है
११.सरकार ने बुधवार को कहा कि देश में गरीबों की संख्या वर्ष 2011-12 में 27 करोड़ रह गई।







Tuesday, February 4, 2014

माँ की याद

घर(माँ) से दूर रह रहे मुझ जैसे लोगो को समर्पित... माँ की याद आजकल तबियत जो मेरी नासाज रहती है वो ठीक तो है न बाबा से रोज माँ कहती है
जाने कौन देता है खबर मेरी उसको वहाँ मैं तो खुद से भी शिकायत नहीं करता यहाँ तू क्यूँ होती है परेशान मत हुआ कर माँ तेरे माथे पे चिंता भी बीमार करती है माँ मैं ठीक हूँ देख लिख रहा हूँ न तुझे ख़त तू अपना खयाल रख मेरी चिंता कर मत जिन्दगी तू और कितना सताएगी माँ को मैं ठीक हूँ ये भरोसा कब दिलाएगी माँ को...

Friday, January 3, 2014

असमंजस

पिछले जीवन की आपाधापी से परेशां सा होकर मैं जैसे तैसे पिछले महीने मुंबई आया . मुंबई जहाँ मैं हमेशा से आना चाहता था मुंबई जो मेरे सबसे करीब का शहर है जहाँ आके मुझे आत्म्सिस्वास मिलता है जीवन में कुछ कर गुजरने का . सब सही जा रहा था अपनी पूर्व योजना के अनुरूप मैं मुंबई आया अपने ख़ास दिसत के साथ काम धंधा करने को उसने पूरी गर्मजोशी के साथ मेरा स्वागत किया मुझे अपने दफ्तर की मुख्य कुर्सी सोंपी और हो गया मेरे साथ मानो मेरे बिना वो अधुरा ही बैठा था..मुझे अच्छा लगा बहुत अच्छा पर शायद कही किसी को ये गलत नागवार लग रहा था पर क्यूँ ? मेरे सबसे ख़ास दोस्त के साथ काम करने से किसी को क्या दिक्कत हो सकती है ?