Sunday, September 7, 2014

जिंदगीनामा ...!!

आज मैंने मायूस बातें करती
ज़िन्दगी को खुद से लड़ते देखा
हताश और कुछ निराश  सी
बोझिल,बेबस टूटती आस सी
हर नफस का साथ छोड़ती सी
हर बंधन ओ 'रिवाज को तोड़ती सी
व्यर्थ से लगने वाले खुद के जीवन
बदल चुके मन को मोड़ती सी

देख के मेरे मन में अनायास ही आया
ऐसा भी क्या है जो तू हार जाये
रहा होगा कल आज से हंसी तेरा
गुजरा होगा कुछ समय जीवन का
बदरंग,नीरस और लाचार सा तेरा
फूलों के साथ भी रहते कांटे जहाँ में
अपनी फितरत से तू चाहे अगर
आने वाले हर कल को संवार लाये 

शायद दिल की बात उसने समझ ली 
अचानक मुस्कान चेहरे पे लौट आई
फितरत को सँभालते हुए ज़िन्दगी
निराशाओं के गले को घोंट आई
शाम ढले जब फिजा बदली शहर में
खत्म हो गया वो बुरा सा सपना
जो देखा था आज भरी दोपहर में
ज़िन्दगी जीती दिखी मतलबी जहाँ में
बामतलब ,हंसती ,खिलखिलाती सी
नाचते-कूदते बच्चों में बच्ची सी 
आज लगी मुझे ज़िन्दगी लौटती सी  


#Smarty






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